क्राइम सीन से मीम तक: कैसे मेरठ मर्डर केस में नीले ड्रम और सीमेंट बने डार्क ह्यूमर के नए सिंबल

मेरठ मर्डर केस से शुरू हुई दिल दहला देने वाली वारदात अब सोशल मीडिया पर एक अजीब मोड़ ले चुकी है। 27 वर्षीय मर्चेंट नेवी अधिकारी सौरभ राजपूत की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन अब वही घटना मीम्स और सोशल मीडिया ट्रेंड्स का हिस्सा बन गई है—खासकर नीले ड्रम और सीमेंट के जरिए।

सौरभ की हत्या का आरोप उनकी पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला पर लगा है। आरोप है कि हत्या के बाद उन्होंने शव के टुकड़े किए, उन्हें नीले प्लास्टिक ड्रम में डाला और सीमेंट से सील कर दिया। यह क्राइम थ्रिलर फिल्मों जैसी साजिश लगती है, लेकिन इसने लोगों की कल्पनाओं को मीम्स के रूप में हवा दे दी।

मीम्स की बाढ़: नीला ड्रम और सीमेंट ट्रेंड में

जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर नीले ड्रम और सीमेंट से जुड़े मीम्स की बाढ़ आ गई। कुछ मीम्स में लिखा था, “अगर वो सीमेंट और ड्रम मांगे, तो भाग लो!” तो कुछ ने रिलेशनशिप्स और होम डेकोर को जोड़ते हुए मीम्स बनाए।

रील्स, ट्रेंडिंग ऑडियोज़ और पॉप कल्चर रेफरेंस ने इस नीले ड्रम को सोशल मीडिया का डार्क ह्यूमर सिम्बल बना दिया है। कई लोगों के लिए ये क्रिएटिविटी है, तो कई के लिए संवेदनहीनता।

डर और हंसी का अजीब मेल

मनोविज्ञानी मानते हैं कि डार्क ह्यूमर तनाव से निपटने का एक तरीका हो सकता है। हालांकि, इस तरह की संवेदनशील घटनाओं पर मीम्स बनाना एक नैतिक सवाल भी उठाता है—क्या हम इतना असंवेदनशील हो चुके हैं कि एक हत्या तक को मज़ाक में बदल देते हैं?

मीम्स या मोरल डाइलम्मा?

मेरठ केस पर मीम्स बनाना बताता है कि आज के डिजिटल दौर में खबरों का ह्यूमराइजेशन किस हद तक जा सकता है। ये मीम्स न केवल पीड़ित के परिवार के लिए अपमानजनक हो सकते हैं, बल्कि समाज की सोच को भी दर्शाते हैं।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड भी और गहराता जा रहा है। मेरठ मर्डर केस एक क्रूर हत्याकांड ही नहीं, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज की पीढ़ी खबरों को कैसे ‘डिजेस्ट’ करती है—हंसी, हैशटैग और हॉरर के साथ।

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